चार धाम की आरती
चलो रे साधो चलो रे
सन्तो चन्दन तलाब में नहायस्याँ
दर्शन ध्यों जगन्नाथ स्वामी, फेर जन्म नाही
पायस्याँ ||
चलो रे साधो चलो रे
सन्तो, रत्नागर सागर
नहायस्याँ
दर्शन ध्यों रामनाथ स्वामी, फेर जन्म नहीं पायस्याँ
||
चलो रे साधो चलो रे
सन्तो, गोमती गंगा में
नहायस्याँ
दर्शन ध्यो रणछोड़ टीकम, फेर जन्म नही
पायस्याँ ||
चलो रे साधो चलो रे
सन्तो, तपत कुण्ड में
नहायस्याँ
दर्शन ध्यो बद्रीनाथ स्वामी, फेर जन्म नही
पायस्याँ ||
कुण दिशा जगन्नाथ
स्वामी, कुण दिशा रामनाथ जी
कुण दिशा रणछोड़ टीकम, कुण दिशा बद्रीनाथ
जी ||
पूरब दिशा जगन्नाथ
स्वामी, दखिन दिशा रामनाथ
जी
पश्चिम दिशा रणछोड़ टीकम, उत्तर दिशा
बद्रीनाथ जी ||
केर चढ़े जगन्नाथ
स्वामी, केर चढ़े रामनाथ जी
केर चढ़े रणछोड़ टीकम, केर चढ़े बद्रीनाथ
जी ||
अटको चढ़े जगन्नाथ
स्वामी, गंगा चढ़े रामनाथ जी
मिसरी रणछोड़ टीकम, दल चढ़े बद्रीनाथ जी
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केर करन जगन्नाथ
स्वामी, केर करण रामनाथ जी
केर करन रणछोड़ टीकम, केर करण बद्रीनाथ
जी ||
भोग करन जगन्नाथ
स्वामी, जोग करन रामनाथ जी
राज करण रणछोड़ टीकम, तप करन बद्रीनाथ जी
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केर हेतु जगन्नाथ
जी केर हेतु रामनाथ जी
केर हेतु रणछोड़ टीकम, केर हेतु बद्रीनाथ
जी ||
पुत्र हेतु जगन्नाथ
स्वामी, लक्ष्मी हेतु
रामनाथ जी
भक्ति हेतु रणछोड़ टीकम, मुक्ति हेतु
बद्रीनाथ जी ||
चार धाम अपार महिमा, प्रेम सहित जो
गायसी
लख चौरासी जुण छूटै फेर जन्म नही
पायसी ||