कामदा एकादशी 2022 तारीख - मंगलवार, 12 अप्रैल
तिथि - चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी
पारण समय - 13 अप्रैल को 01:39 PM से 04:12 PM तक
एकादशी तिथि प्रारंभ - 12 अप्रैल को 04:30 AM
एकादशी तिथि समाप्त - 13 अप्रैल को 05:02 AM
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत करने से हर तरह के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान पूरी करते है। इसलिए इसे फलदा एकादशी या कामदा एकादशी भी कहा जाता है। अगर आपका पति या बच्चा बुरी आदतों का शिकार हो तो भी कामदा एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
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मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और भगवान की पूजा-अर्चना करें।
2. पूरे दिन समय-समय पर भगवान विष्णु का स्मरण करें और रात्रि में पूजा स्थल के समीप जागरण करना चाहिए।
3. एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए।
4. एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा का महत्व है इसलिए पारण के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं व दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।
कहा जाता है कि पुण्डरीक नामक नागों का एक राज्य था। यह राज्य बहुत वैभवशाली और संपन्न था. इस राज्य में अप्सराएं, गन्धर्व और किन्नर रहा करते थे। वहां ललिता नाम की एक अतिसुन्दर अपसरा भी रहती थी। उसका पति ललित भी वहीं रहता था। ललित नाग दरबार में गाना गाता था और अपना नृत्य दिखाकर सबका मनोरंजन करता था। इनका आपस में बहुत प्रेम था।
दोनों एक दूसरे की नज़रों में बने रहना चाहते थे। राजा पुण्डरीक ने एक बार ललित को गाना गाने और नृत्य करने का आदेश दिया। ललित नृत्य करते हुए और गाना गाते हुए अपनी अपसरा पत्नी ललिता को याद करने लगा, जिससे उसके नृत्य और गाने में भूल हो गई। सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता उपस्थित थे, जिन्होंने पुण्डरीक नामक नाग राजा को ललित की गलती के बारे में बता दिया था। इस बात से राजा पुण्डरीक ने नाराज होकर ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया।
इसके बाद ललित एक अयंत बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया। उसकी अप्सरा पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई। ललिता अपने पति की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढने लगी। तब एक मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। ललिता ने मुनि के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पूण्य लाभ अपने पति को दे दिया। व्रत की शक्ति से ललित को अपने राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया।
इस एकादशी को पाप नष्ट करने वाली एकादशी माना गया है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन व्रत रखने वालों और कथा सुनने से हर कामना पूर्ण होती है। जाने-अनजाने में किया पाप नाश होता है। व्रत करने वाले को मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है। कामदा एकादशी का व्रत बहुत फलदायी होती है।
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