सरस्वती मंत्रा
सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने
विद्यारूपा विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषू, मां सरस्वती रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
सरस्वती वंदना
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रव्रिता |.
या वीणा वरा दंडमंडित करा या श्वेत पद्मासना ||.
या ब्रह्मच्युत शंकरा प्रभुतिभी देवी सदा वन्दिता |.
सामा पातु सरस्वती भगवती निशेश्य जाड्या पहा ||.
सरस्वती परिवार
या कुंदेंदु तुषारहार धवला,या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणावर दण्डमंडितकरा,या श्वेतपद्मासना ||
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं |
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धाकारापाहां |
हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां |
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां ||
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