सावन या श्रवण (जुलाई-अगस्त) के महीने में नाग पंचमी से एक दिन पूर्व नाग चतुर्थी पर्व मनाया जाता है। नागुला चाविथी लेकिन, भारत के कुछ राज्य भी कार्तिका (नवंबर-दिसंबर) के महीने में दीवाली पर्व के बाद चौथे दिन नागा चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। जो की व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि व कल्याण के लिए जानी जाती है। 2020 में, नागुला चाविथी बुधवार, 18 नवंबर को पड़ता है।
यह अनुष्ठान महिलाओं द्वारा उनके जीवन साथी और बच्चों की कल्याण और दीर्घायु के लिए नागा चतुर्थी पर्व मनाया जाता है। यह पर्व व्यक्ति की जन्मकुण्डली में बने राहु और केतु के कारण काल सर्प दोष की पूजा करते हैं व शांतिपूर्ण परिवार, समृद्धि और धन के लिए नागा देवताओं के आशीर्वाद मांगने की प्रार्थना भी करते हैं।
त्यौहार के दौरान, भक्त सांपों की पूजा करते हैं, इस दिन साँपों को काँसे के वर्तन में दूध पिलाया जाता है। इस दिन महिलाएं नाग देव की पूजा कर अपने संतान के लिए एक खुसहाल जीवन मांगती है और उनके ऊपर चल रहे ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने की प्रार्थना करती है।
1-
नाग चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठ जाए। और नहा धोकर घर के दरवाजे पर गोबर से नाग बनाएं।
2-
नाग देवता का आह्वन कर उन्हें बैठने के लिए आसान दें।जल,फूल और चंदन से पूजा शुरू करें।
3-
नाम की प्रतिमा पर चंदन लगाएं साथ ही जल भी चढ़ाएं।फिर लड्डू भोग लगाएं।
4-
फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें।
5-
इस दिन घर की नींव नहीं डालनी चाहिए।
6-
इस दिन हल नहीं चलाना चाहिए।
7-
इस दिन नाग देवता को दूध पिलाना चाहिए।
8-
इस दिन नागों को मुक्त कराना चाहिए।
टिप्पणियाँ
Murthy
31/10/2019
Mantras OR Naamams to be chanted are not detailed. I understand some 8 or 9 specific mantras are to b chanted on this eve.
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