नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित है। भगवान शिव और देवी पार्वती के बड़े पुत्र के बारे में हर कोई जानता है। वह महान और बुद्धिमान भगवान कार्तिकेय थे। जब देवी पार्वती भगवान कार्तिकेय (भगवान स्कंद) की माँ बनीं, तो उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाने लगे ।
चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन | |
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2022 तारीख | बुधवार, 6 अप्रैल |
तिथि | चैत्र सुक्ल पक्ष पंचमी |
देवी | स्कंदमाता |
पूजा | स्कंदमाता पूजा |
मंत्र | 'ओम देवी स्कंदमातायै नम:' |
फूल | पीला गुलाब |
रंग | शाही नीला |
सभी नवरात्रि 2022 का पांचवां दिन
– पांचवां दिन माघ गुप्त नवरात्रि: रविवार, 6 फरवरी
– पांचवां दिन चैत्र नवरात्रि: बुधवार, 6 अप्रैल
– पांचवां दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: सोमवार, 4 जुलाई
– पांचवां दिन शारदीय नवरात्रि: शुक्रवार, 30 सितंबर
सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। इनकी आराधना से मनुष्य सुख-शांति की प्राप्ति करता है। सिह के आसन पर विराजमान तथा कमल के पुष्प से सुशोभित दो हाथो वाली यशस्विनी देवी स्कन्दमाता शुभदायिनी है। माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं ।
चार भुजाओं से सुशोभित माता के दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प लिए हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है। पाँचवें दिन का शास्त्रों में माता का विशेष महत्व बताया गया है।
इनकी उपासना करने से भक्तों को अलौकिक तेजोमयी प्रकाश की प्राप्ति होती है। यह अलौकिक प्रभामंडल में प्रतिक्षण योगक्षेम का निर्वहन करती है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है।
इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। और माँ की प्रेम भाव से आराधना करने पर भक्तों को हर प्रकार के सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस घोर भवसागर के सभी दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग दिखलाने वाली ही एक ही ऐसी माता है जो अपने भक्त को सभी पापों से मुक्त कर क्षमा करके मोक्ष का द्वार दिखती है।
कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है। इस चक्र का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए कुश अथवा कम्बल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रक्रिया को उसी प्रकार से शुरू करना चाहिए जैसे आपने अब तक केचार दिनों में किया है फिर इस मंत्र से देवी की प्रार्थना करनी चाहिए “सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी अब पंचोपचार विधि से देवी स्कन्दमाता की पूजा कीजिए नवरात्रे की पंचमी तिथि को कहीं-कहीं भक्त जन उद्यंग ललिता का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को फलदायक कहा गया है। जो भक्त देवी स्कन्द
माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।
जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥क
ही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥
नवरात्रि दिवस ६ | नवरात्रि दिवस ७ | नवरात्रि दिवस ८ | नवरात्रि दिवस ९ | दशहरा | नवरात्रि दिवस १ | नवरात्रि दिवस २ | नवरात्रि दिवस ३ | नवरात्रि दिवस ४
टिप्पणियाँ
Rakesh Kumar Sehgal
01/10/2020
Shubh muhurat time & date of new grah pravesh Navraratri day in October 2020
Chandan Bedardi
06/04/2022
Poshtar bana hai
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