नवरात्रि का आठवां दिन जो महा अष्टमी तिथि में पड़ता है, देवी महागौरी और कन्या पूजन के लिए समर्पित है। वह 8 वें और नवदुर्गा के सबसे सुंदर रूप के रूप में जानी जाती है। संधि पूजा भारत के कई क्षेत्रों में भी देखी जाती है। यह माना जाता है कि वह सबसे सुंदर है और बहुत चमकती है। वह शांति और धीरज का प्रतीक है। कहा जाता है कि नवरात्रि में माँ महागौरी की पूजा करने से भक्तों का दिल साफ होगा और वह पवित्र हो जाएगा।
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन | |
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अन्य नाम | दुर्गा अष्टमी, महा अष्टमी |
2022 तारीख | शनिवार, 9 अप्रैल |
तिथि | चैत्र सुक्ल पक्ष अष्टमी |
देवी | महागौरी |
पूजा | महा अष्टमी, महागौरी पूजा |
मंत्र | 'ओम देवी महागौर्यै नम:' |
फूल | रात-खिलने वाली चमेली, मोगरा |
रंग | मोर हरा |
सभी नवरात्रि 2022 का अष्टम दिवस
- दिन 8 माघ गुप्त नवरात्रि: बुधवार, 9 फरवरी
- दिन 8 चैत्र नवरात्रि: शनिवार, 9 अप्रैल
- दिन 8 आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: गुरुवार, 7 जुलाई
- दिन 8 शारदीय नवरात्रि: सोमवार, 3 अक्टूबर
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है। भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया, तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया।
माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी। नवरात्रि के 8वें दिन की देवी मां महागौरी हैं। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण विश्व में विख्यात हुईं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं।
- पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरम्भ करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें।
- पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें. उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें।
- अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे।
- मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें. मां को सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें।
- साथ में मां को इत्र भी अर्पित करें।
- पहले मां के मंत्र का जाप करें. फिर शुक्र के मूल मंत्र "ॐ शुं शुक्राय नमः" का जाप करें।
- मां को अर्पित किया हुआ इत्र अपने पास रख लें और उसका प्रयोग करते रहें।
- अष्टमी तिथि के दिन कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा है, इसका महत्व और नियम क्या है।
- नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है. यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है।
- इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है।
- हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, पर अष्टमी और नवमी को अवश्य ही कन्या पूजा की जाती है।
- 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है।
- अलग-अलग उम्र की कन्या देवी के अलग अलग रूप को बताती है।
जरूर पढ़े: सभी नौ दिनों के लिए नवरात्रि मंत्र
ओम देवी महागौर्यै नमः ।।
श्वेते वृषसमरुधा श्वेताम्बरधरा शुचि।
महागौरी शुभं दद्यानमहादेव प्रमोददा ।।
यं देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
वन्दे वंचिता कामार्थे चन्द्रार्धकृतचरशेखरम्।
सिंहरुद्ध चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम् ।।
पूर्णन्दु निभम गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम ।
वरभीतिकरम त्रिशुला दामरुधरम महागौरी भजेम् ।।
पटाम्बरा परिधनम् मृदुहास्य नानालंकार भूषिताम् ।
मंजीरा, हर, कीरा, किंकिणी, रत्नाकुंडला मंडितम्।।
प्रफुल्ल वंदना पल्लवधरम कांता कपोलम त्रैलोक्य मोहनम ।
कमनीयम लावण्यम मृणालम चंदना गंधालिप्टम।।
सर्वसंकट हन्त्री तवमही धना ऐश्वर्यप्रदाय ।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम् ।।
सुख शान्तिदात्री धना धन प्रज्ञाम्।
डमरुवद्यं प्रया आद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्।।
त्रैलोक्यमंगला तवमही तपत्रया हरिनिम ।
वदाम् च चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम् ।।
ओंकार पातु शिरशो मां, हिम बीजम, हृदय।
कृपया समुदाय व्यवस्थापक से संपर्क करें ।।
ललातम करनो हम बीजम पातु महागौरी माँ नेतराम घरनो।
कपोता चिबुको चरण पातु स्वाहा मा सर्ववदनो।।
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टिप्पणियाँ
Deepak wagh
22/12/2020
It's very special. Thanks.
Yogender Sharma
12/08/2021
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