रवि प्रदोष व्रत | |
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प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल के दौरान मनाया जाता है। यदि प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। | |
अन्य नाम | भानु प्रदोषम |
तिथि | त्रयोदशी |
दिन | रविवार |
देवता | भगवान शिव |
तिथियाँ | 30 जनवरी 2022 |
12 जून 2022 | |
26 जून 2022 | |
विधि | पूजा, उपवास, जागरण, दान, और प्रार्थना |
लाभ | अच्छे स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, मान-सम्मान और लंबी आयु की प्राप्ति |
यदि प्रदोष व्रत अगर रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इसे भानु प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को रखने से स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, सम्मान और लंबी आयु प्राप्त होती है। जो लोग स्वास्थ्य में किसी न किसी बीमारी से घिरे होते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं। भानु प्रदोषम व्रत कथा इस प्रकार है।
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एक ग्राम में एक दीन-हीन ब्राह्मण रहता था। उसकी धर्मनिष्ठ पत्नी प्रदोष व्रत करती थी। उनके एक पुत्र था। एक बार वह पुत्र गंगा स्नान को गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में उसे चोरों ने घेर लिया और डराकर उससे पूछने लगे कि उसके पिता का गुप्त धन कहां रखा है। बालक ने दीनतापूर्वक बताया कि वे अत्यन्त निर्धन और दुःखी हैं । उनके पास गुप्त धन कहां से आया। चोरों ने उसकी हालत पर तरस खाकर उसे छोड़ दिया। बालक अपनी राह हो लिया। चलते-चलते वह थककर चूर हो गया और बरगद के एक वृक्ष के नीचे सो गया। तभी उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उसी ओर आ निकले । उन्होंने ब्राह्मण-बालक को चोर समझकर बन्दी बना लिया और राजा के सामने उपस्थित किया । राजा ने उसकी बात सुने बगैर उसे कारागार में डलवा दिया । जब ब्राह्मणी का लड़का घर नहीं पहुंचा तो उसे बड़ी चिंता हुई। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन ही मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी। उसी रात्रि राजा को स्वप्न आया कि वह बालक निर्दोष है । यदि उसे नहीं छोड़ा गया तो तुम्हारा राज्य और वैभव नष्ट हो जाएगा । सुबह जागते ही राजा ने बालक को बुलवाया । बालक ने राजा को सच्चाई बताई । राजा ने उसके माता-पिता को दरबार में बुलवाया । उन्हें भयभीत देख राजा ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘तुम्हारा बालक निर्दोष और निडर है । तुम्हारी दरिद्रता के कारण हम तुम्हें पांच गांव दान में देते हैं ।’ इस तरह ब्राह्मण आनन्द से रहने लगा । शिव जी की दया से उसकी दरिद्रता दूर हो गई।
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लाभ: रवि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, मान-सम्मान और लंबी आयु की प्राप्ति हो सकती है।
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