गर्भाधान की तरह यह पुंसवन संस्कार भी
चारों वर्णों के लिए सामान होता है गर्भस्थ शिशु के बौद्धिक और मानसिक विकास के
लिए यह संस्कार किया जाता है। पुंसव...
यह संस्कार गर्भ में पल रहे बच्चे के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। यह संस्कार सभी वर्ण जाती के लिए सामान होता है इस समय गर्भ में पल रहा...
इस भू भाग में बालक जन्म लेते ही भौतिक जीवन से जुड़ने लग जाता बालक का जन्म होते ही जातकर्म संस्कार को किया जाता है। इस संस्कार को करने से शिशु के कई प्...
शिशु यानि बच्चे के जन्म के बाद 11 या 21वें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। इस दिन घर में आकर ब्राह्मण द्वारा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चे का नाम त...
निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। जन्म के चौथे महीने में यह संस्कार किया जाता है। हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जिन्हें पंचभूत कहा जाता...
यह संस्कार बच्चे के दांत निकलने के समय अर्थात 6-7 महीने की उम्र में किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत हो जाती है। इस दिन...
जब शिशु की आयु एक वर्ष हो जाती है तब या तीन वर्ष की आयु में या पांचवे या सातवे वर्ष की आयु में बच्चे के बाल उतारे जाते हैं जिसे मुंडन संस्कार कहा जाता...
विद्या आरंभ संस्कार के माध्यम से शिशु को उचित शिक्षा दी जाती है। शिशु को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित कराया जाता है। और जीवन के भौतिक वस्तुओं से...
उप यानी पास और नयन यानी ले जाना। गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। आज भी यह परंपरा है। जनेऊ यानि यज्ञोपवित में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन...
केशांत संस्कार अर्थ है केश यानी बालों का अंत करना, उन्हें समाप्त करना। विद्या अध्ययन से पूर्व भी केशांत किया जाता है। मान्यता है गर्भ से बाहर आने के ब...
समावर्तन संस्कार अर्थ है फिर से लौटना। आश्रम या गुरुकुल से शिक्षा प्राप्ति के बाद व्यक्ति को फिर से समाज में लाने के लिए यह संस्कार किया जाता था। इसका...
यह धर्म का साधन है। विवाह संस्कार सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। इसके अंतर्गत वर और वधू दोनों साथ रहकर धर्म के पालन का संकल्प लेते हुए विवा...
अंत्येष्टि संस्कार इसका अर्थ है अंतिम संस्कार। शास्त्रों के अनुसार इंसान की मृत्यु यानि देह त्याग के बाद मृत शरीर अग्नि को समर्पित किया जाता है। आज भी...