बहुत से लोग यह नहीं जानते की दिवाली गौ पूजन से शुरू होती है। दिवाली का पहला दिन गायों की पूजा के लिए समर्पित होता है. गायें हर हिन्दू के द्वारा भगवान् के रूप में पूजी जाती है और भगवान् के अस्तित्व के सन्दर्भ में इन्हें हम जीवित प्राणियों में सबसे ऊपर रखते है। इस दिन को गोवत्स द्वादशी या वसु बारस या नंदिनी व्रत के रूप में जानते है। हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार, यह अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में 12वें दिन पड़ता है. इस वर्ष, वसु बारस शुक्रवार, 25 अक्टूबर को पड़ रहा है। यह पर्व प्रमुख रूप से महारास्ट्र के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
वसु बारस की उत्पत्ति
इस त्यौहार का आरम्भ अत्यंत प्रसिद्ध ‘समुन्द्रमंथन्’ कथा से जुड़ा हुआ है, ऐसी मान्यता है की जब देव और दानव अमृत के लिए समुंद्र का मंथन कर रहे थे तब समुंद्र में से एक गौ अवतरित हुई, जिसे कामधेनु कहा गया. यह दिव्य गौ जो स्वर्ग में रहती है उसे भगवान् द्वारा सात ऋषियों को दिया गया जो यथासमय ऋषि वसिष्ठ के अधिकार में आ गयी. यह अपने मालिक की किसी भी प्रकार की इच्छा और अनुदान को पूरा करने में समर्थ है. ऐसी मान्यता है की वासुबरस के दिन, चैतन्य से भरे हुए आवृत्तियों का गाय के रूप से विष्णु के रूप में उत्सर्जन हुआ. इसलिए, ये पूजा की गई गायें विष्णु से उत्सर्जित की गई इन आवृत्तियों को अपने गाय के रूप से सोख सकती है.
कामधेनु कैसी दिखती है
कामधेनु, एक “इच्छा और मनोरथ वाली गाय” है, जिसकी गोजातीय शरीर है, स्त्री रुपी धड़, उष्णकटिबंधीय पक्षी की तरह बहुरंगी पंख, और मोर के पंख वाली पूंछ है. इसका दूध धार के साथ शिवलिंग पर चढ़ता है जो केवल इसके योनी से निकलकर पवित्र अग्नि में यग्य की आहुति बनता है. अग्रभूमि में (चित्र के बीच के भाग में) विभिन्न ब्राहमण अग्नि में घी की आहुति दे रहे है. गौ के धार्मिक महत्व सहज रूप से वैदिक धार्मिक अनुष्ठानों में दूध, माखन और घी के प्रयोग के रूप में दिखते है.
गाय के शरीर के हर भाग का अपना धार्मिक महत्व है. इसके चार पैर चार वेदों के प्रतीक है, इसके स्तन चार पुरुषतार्थ है. इसके सींग देवताओं को प्रतीक है, इसका मुख सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक है, इसके कांधे अग्नि और इसके पैर हिमालय के प्रतीक है. विस्तृत विशेषीकरण के लिए नीचे दिए गए चित्र को देखें.
वसु बारस करने के लाभ
कामधेनु का अर्थ है पवित्रता, अ-कामुक प्रजनन क्षमता, बलिदान और मातृत्व भाव जो मानव-जीवन में जीविका जोड़ देती है. गाय सनातन धर्म के अनुयाइयों के लिए परम देवी है और इन्हें प्रभावशाली आशीर्वाद देने के लिये माना जाता है. अगर इनकी पूजा की जायें, इन्हें आदर-सत्कार और प्रेम दिया जाए तो ये अपने मालिक की सभी प्रकार की इच्छा और मनोरथ की पूर्ति करने में समर्थ है.