श्री रामकृष्ण ने अच्छे और बुरे की पहेली को हल करने के लिए इस कहानी के माध्यम से अद्भुत् उपाय सुझाया है.
एक जंगल के हल्के आबादी वाले क्षेत्र में एक जहरीला सांप रहता था. वह अत्यंत जहरीला था और वह किसी के भी द्वारा थोड़े से भी छेड़छाड़ करने पर उस व्यक्ति पर हमला कर देता था जिसके परिणाम में उस व्यक्ति की मौत हो जाती थी.
एक दिन एक ब्रहमचारी उस रास्ते से गुजर रहा था जब उस पवित्र व्यक्ति पर सांप हमला करने वाला था. उस ब्रहमचारी ने एक मंत्र पढ़ा और तुरंत वह सांप शांत हो गया. तब उस ब्रहमचारी ने सांप से कहा की उसे अपना यह हानिकारक स्वाभाव त्याग देना चाहिए. उसने सांप का एक मंत्र के द्वारा सूत्रपात किया और उससे कहा की इस मंत्र का निरंतर जप करें. मंत्र संस्कार के बाद, सांप के जीवन जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया और वह केवल घास और फल खाकर रहने लगा. अब वह किसी को हानि नही पहुचांता था.
एक बार उस क्षेत्र का एक लड़का उस सांप के करीब गया और यह देखकर उसे बहुत आश्चर्य हुआ की सांप ने गुस्से से कोई प्रतिक्रिया नही दी. उसने उसे पूंछ से पकड़ कर उठाया और जमीन पर पटका और उसे मृत समझकर वहीँ छोड़कर भाग गया. सांप बुरी तरह से घायल हुआ लेकिन मरा नहीं. धीरे-धीरे वो अपने बिल में चला गया और फिर केवल रात्रि के समय ही बाहर निकलने लगा. कुछ महीनों बाद, वह ब्रहमचारी पुनः उस स्थान पर आया और उस सांप के बारे में उसने मालूम किया.
उसने सांप को जोर-जोर से बुलाना शुरू किया और काफी मुश्किल के बाद वह बाहर आया. उसकी हालत देखकर , ब्रहमचारी ने उससे पूछा की उसके साथ क्या हुआ. वह सांप इतना सात्विक हो चुका था की उस लड़के द्वारा स्वयं के पीटें जाने के बारे में भी स्मरण नहीं करना चाहता था. परंतु , ब्रहमचारी द्वारा बहुत तरह से पूछे जाने पर उसे सबकुछ याद आया और फिर उसने अपने दुःख की कहानी सुनाई. तब उस ब्रहमचारी ने उस सांप को यह कहते हुए धिक्कारा की, “मैंने तुम्हे लोगों को हानि पहुँचाने से मना किया था जिसका अर्थ था की तुम किसी को भी नही काटोगे लेकिन मैंने तुम्हें इस बात से वंचित नही किया था की तुम स्वयं की रक्षा के लिए किसी को न डंसों”
तुम्हें यह अवश्य जानना चाहिए की अपने सिंधान्तो का पालन करते हुए बुरे लोगों से स्वयं की रक्षा कैसे करनी है.
शुभकामना सहित,
स्वामी शांततामानंद
रामकृष्ण मिशन,
रामकृष्ण आश्रम मार्ग,
नई दिल्ली, दिल्ली 110055, भारत