हम हर हिंदू मंदिरो के प्रवेशद्वार या मंदिर के अन्दर धातु की घंटी देखते है. आमतौर पर हम ये घंटी मंदिर में प्रवेश करने के पहले और पूजा तथा आरती के समय बजाते है. क्या आप घंटी बजने के पीछे के कारण को जानते है ? आइये इसके वैज्ञानिक और अध्यात्मिक दोनों ही तथ्यों को जानते है.
इतिहास
प्राचीन काल में ज्यादातर हिन्दू मंदिरों में द्वार नही होते थे. जिसकी वजह से पशु , पक्षी और कभी-कभी बेघर गरीब इन्सान भी रात्रि में मंदिर में आश्रय लेने के लिए रह जाते थे. तब इन धातु के घंटियों को बजा कर उनलोगों को मंदिर खाली करने का संकेत दिया जाता था , मानों भगवान् भी शायद अपने बिस्तर पर जाना चाहते हो. पुराने समय में लोग अपने दिन की शुरुआत मंदिर की घंटी की आवाज सुनकर करते थे तथा रात्रि भोजन भी घंटी की आवाज सुनने के बाद ग्रहण करते थे. कुछ ये भी मानते है की लोगों के समय की गणना घंटी बजने पर निर्भर करती थी.
अध्यात्मिक कारण
साधारणतया, इन घंटियों को “घंटा” कहते है , जो संस्कृत से लिया गया शब्द है. मंदिर की घंटियाँ विशेष रूप से पांच धातुओं ( तांबा, चाँदी, सोना, पीतल, लोहा ) से मिलकर बनी होती है. ये “पंच महाभूत” को दर्शाता है : धरती, हवा, आकाश, पानी, आग. ये “ॐ” तरंग वाली विलक्षण दीर्घ खीचीं हुई आवाज उत्पन्न करती है. ये आपके भीतर और आपके आस-पास के बुरे भावों को दूर करता है. इन घंटियों के बजने से होनेवाली गूंज, अंतरात्मा को जगाती है और मन के सारे नकारात्मक भावों को साफ़ कर देती है तथा हमें अपना ध्यान केवल अपने देवता पर केंद्रित करने में सहायता करती है. मंदिर के घंटी की आवाज सात सेकेंड तक होती है जो हमारे शरीर के सात स्वास्थ्यप्रद केंद्र या चक्र को स्पर्श कर लेती है. बहुत सारे विश्वास है की मंदिर के घंटी की आवाज भगवान् के ध्यान को हमारे तरफ केंद्रित करने के लिए होती है और हमारे भेंटो को स्वीकार कर हमारे इच्छाओं की पूर्ति कराती है. मंदिर की घंटियाँ मंदिरों के अध्यात्मिक वातावरण को भी बनाये रखती है और हमारी आस्था और विश्वास को बढ़ाने में सहायता करती है.
वैज्ञानिक कारण
घंटियों के बजने से जो आवाज आती है वो हमारे मस्तिष्क के दायें और बाएं हिस्से को एकीकृत करती है. जो हमें आत्मविश्वास देने के साथ-साथ सजग भी बनाती है. यह हमारे भावनाओं को भी निर्मल करती है तथा हमारे मन को शांत करती है , जिससे हमारे अन्दर कई सारे अच्छे गुण सक्रीय हो जाते है जैसे – आत्मविश्वास , बल , दया और भक्ति. वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है की मंदिर के घंटी की आवाज हमारे क्रोध को शांत करती है और हमें सौम्य बनाती है. धार्मिक स्थलों पर घंटी की मधुर आवाज हमारे मन के लिए प्रतिकारक का काम करती है.
कुछ लोग कहते है की धार्मिक क्रिया अनिश्चित और समय की बर्बादी है. परंतु , किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले उस बारे में विवेचन कर लें. किसी भी धार्मिक क्रिया को मानने या उससे इंकार करने से पूर्व उसके पीछे के वैज्ञानिक संबंधता को समझने का प्रयास करें.