हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। यहां सभी अमावस्या तिथि के साथ उनसे जुड़े त्योहारों उपलब्ध है।
अमावस्या कैलेंडर 2022
अमावस्या की 12 महीनों में 12 ही तिथियां होती हैं। वर्ष 2022 में अमावस्या की तिथियां कुछ इस प्रकार हैं-
अमावस्या | 2022 दिनांक (Date) |
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पौष अमावस्या | रविवार, 2 जनवरी |
माघ अमावस्या | मंगलवार, 1 फरवरी |
फाल्गुन अमावस्या | बुधवार, 2 मार्च |
चैत्र अमावस्या | शुक्रवार, 1 अप्रैल |
वैशाख अमावस्या | शनिवार, 30 अप्रैल |
ज्येष्ठ अमावस्या | सोमवार, 30 मई |
आषाढ़ अमावस्या | बुधवार, 29 जून |
श्रावण अमावस्या | गुरुवार, 28 जुलाई |
भाद्रपद अमावस्या | शनिवार, 27 अगस्त |
अश्विन अमावस्या | रविवार, 25 सितंबर |
कार्तिक अमावस्या | मंगलवार, 25 अक्टूबर |
मार्गशीर्ष अमावस्या | बुधवार, 23 नवंबर |
पौष अमावस्या | शुक्रवार, 23 दिसंबर |
अमावस्या के नाम और उनका महत्व
पौष अमावस्या
दिनांक: रविवार, 2 जनवरी और शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022
पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष अमावस्या का बड़ा महत्व है। पौष माह सूर्यदेव की उपासना का समय कहा गया है। ऐसे में इस माह की अमावस्या का भी विशेष महत्व बताया गया है।
माघ अमावस्या
दिनांक: मंगलवार, 1 फरवरी 2022
माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है| वहीं यदि मौन रहना संभव न हो तो अपने मुख से कटु वचन न बोलें। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है और अमावस्या के दिन चंद्र दर्शन नहीं होते हैं।
फाल्गुन अमावस्या
दिनांक: बुधवार, 2 मार्च 2022
फाल्गुन कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। जीवन में सुख और शांति के लिए फाल्गुन अमावस्या का व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध भी किया जाता है। यदि अमावस्या सोम, मंगल, गुरु या शनिवार के दिन हो तो, यह सूर्यग्रहण से भी अधिक फल देने वाली होती है।
चैत्र अमावस्या
दिनांक: शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या कहते हैं। ऐसी मान्यता है की पितरो को मोक्ष की प्राप्ति और सद्गति के लिए अमावस्या का व्रत करना चाहिए। इस व्रत को करने से न सिर्फ पितरों को मोक्ष एवं शांति मिलती है बल्कि व्रतधारी को अमोघ फल भी मिलता है।
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वैशाख अमावस्या
दिनांक: शनिवार, 30 अप्रैल 2022
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है।
ज्येष्ठ अमावस्या
दिनांक: सोमवार, 30 मई 2022
ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। शनि जयंती पर भक्त भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं और भगवान शनि का आशीर्वाद लेने के लिए शनि मंदिरों में जाते हैं। इस अमावस्या को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत भी रखती हैं।
आषाढ़ अमावस्या
दिनांक: बुधवार, 29 जून 2022
आषाढ़ अमावस्या(9 – 10 जुलाई): यह धार्मिक दृष्टि से अमावस्या की तिथि का बहुत महत्व माना जाता है। क्योंकि यह दिन दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किये जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। आषाढ़ मास की अमावस्या को भी बेहद खास माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार का आषाढ़ महिना हिंदू वर्ष का चौथा महीना माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है।
श्रावण अमावस्या
दिनांक: गुरुवार, 28 जुलाई 2022
श्रावण अमावस्या(रविवार, 8 अगस्त): इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है| हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहा जाता है, चूंकि इस मास से सावन महीने की शुरुआत होती है इसलिए इसे हरियाली और सोमवती अमावस्या भी कहते हैं।
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भाद्रपद अमावस्या
दिनांक: शनिवार, 27 अगस्त 2022
भाद्रपद अमावस्या(मंगलवार, 7 सितंबर): इस भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है| इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इस संदर्भ में पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था।
अश्विन अमावस्या
दिनांक: रविवार, 25 सितंबर 2022
अश्विन अमावस्या(बुधवार, 6 अक्टूबर): यह ज्ञात और अज्ञात पितृों के पूजन के लिए आश्विन अमावस्या का बड़ा महत्व है, इसलिए इसे सर्व पितृजनी अमावस्या और महालय विसर्जन भी कहा जाता है। इस दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं।
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कार्तिक अमावस्या
दिनांक: मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022
कार्तिक अमावस्या(रविवार, 15 नवंबर): यह कार्तिक मास की अमावस्या हिन्दू धर्म के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी माता एवं ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी श्रीगणेश जी की पूजा की जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या
दिनांक: बुधवार, 23 नवंबर 2022
मार्गशीर्ष अमावस्या(शनिवार, 4 दिसंबर) मार्गशीर्ष यह अमावस्या को अगहन अमावस्या कहते हैं। इस दिन पित्तरों की शांति लिए दान-पुण्य एवं तर्पण किया जाता है। साथ ही इस दिन माँ लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है।
अमावस्या में क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन किसी भी प्रकार की का कोई सेवन नहीं करना चाहिए। बता दें कि दिन आप शराब आदि नशे से आपको दूर रहना होगा। इससे आपके शरीर पर ही नहीं बल्कि आपके भविष्य पर भी असर पड़ता है। कहा जाता है कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त इन तीन 3 दिन आपके पवित्र रहने में ही आपकी भलाई है। बता दें कि इस दिन बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं।
अमावस्या के महत्व
शास्त्रों के अनुसार अमावस्य वाले दिन दान-पुण्य करने से आपके लिए बहुत अधिक अच्छा होगा. माना जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था | जिसकी वजह से इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि माघ के महिने में पूजन-अर्चन व नदी में स्नान करने से भगवान नारायण आपको को प्राप्त हो सकते है साथ ही इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग की भी प्राप्ती हो सकती है| जो लोग घर पर स्नान करके नियम के अनुसार आरंभ करना चाहते हैं तो उन सब को पानी में थोड़ा-सा गंगा जल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए| इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है|