भारतीय संगीत विवाह बहुत अधिक विस्तृत और बड़ी होने के कारण भले ही मजाक का केंद्र बने लेकिन जो मनोरंजन इनमें होती है वो अतुलनीय है. कुछ ऐसी रस्में होती है जो आपके अन्दर के कलाकार को बाहर निकाल कर आपके सारे तनावों को भुला देते है. भारतीय शादियाँ सिर्फ युगल-जोड़ों को आपस में जोड़ने के बजाए दो परिवारों के सारे सदस्यों के बीच एक सबन्ध स्थापित करने का काम करती है.
सबसे महत्वपूर्ण रस्म जो भीतर की भावनाओं का प्रवाह बाहर निकालने के लिए जिम्मेवार होता है, वो संगीत है. यधपि, यह सिर्फ एक मनोरंजक समारोह लगता हो परन्तु इसका यथार्थ बहुत गहरा है. आइए जानते है की संगीत अपने साथ हमारे लिए और क्या-क्या लेकर आती है.
संगीत का आरंभ
संगीत की शुरुआत आरंभ में हमें शादी की तैयारियों में होनेवाले तनावों को दूर करने के लिए हुई. संगीत समारोह दुल्हन के लिए उसके परिवार वालों के तरफ से पारम्परिक रूप से आयोजित किया जाता है जिसमे कुछ महिला मेहमानों को आमंत्रित करते है, मिठाइयों से भरा हुआ , हँसी-मजाक करते हुए तथा दुल्हन से संबंधित कुछ प्रिय यादों को याद कर संगीत हार्दिकतापूर्ण भाव के साथ मनायी जाती है.
हो सकता है की इस प्रकार से इसकी तुलना पश्चिमी सभ्यता के बैचलर पार्टी से की जा सकती है. हाँ , इस तरह से हम भारतियों की भी बैचलर पार्टी होती है.
संगीत की रस्में
संगीत सबसे अधिक आगे बढ़े हुए समारोहों में से है. कुछ जगहों पर, इसे गुआन भी कहते है. ऐसा माना जाता है की यह शादी के उत्सव के जोश को बढ़ा देता है. यह दूल्हा और दुल्हन दोनों के ही घरों पर व्यक्तिगत रूप से मनाया जाता है. इनके अपने परिवार के लोग गाने गाते है, गानें के धुनों पर नाचते है और मस्ती-मजाक करते है. शुरू में, लोक गीत और धार्मिक गानें बजाए जाते है जो की आजकल मुख्य रूप से बॉलीवुड के संगीत में बदल दिए गए है तथा और अधिक आधुनिक रूप में विकसित किये जा रहे है.
पहले के दिनों में गौण की प्रथा दस दिनों तक प्रयुक्त की जाती थी लेकिन समय के साथ, जैसा की काम के दिनचर्या की मांग के कारण लोगों के पास अधिक समय नहीं रह गया तो आमतौर पर इस प्रथा को एक रात के समारोह में बदल दिया गया है. पारंपरिक रूप से, केवल महिलाये इस समारोह को मनाती थी लेकिन आजकल धारणा बदल चुकी है क्योंकि पुरुष और स्त्री दोनों ही इस उत्सव को मनाते है. आजकल अधिकांश परिवार मेहंदी के साथ संगीत समारोह को मिला देते है. हालांकि , संगीत का समारोह पुरे उत्तरी भारत में शादी के पहले का एक महत्वपूर्ण समारोह है, ये गुजराती और पंजाबी के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय प्रचलन है.
संगीत में बजाये जाने वाले लोक-संगीत
शुरू-शुरू में संगीत पंजाबी संस्कृति से आया. बाद में, भारत के अन्य क्षेत्रों के लोगों ने इसे मस्ती से भरे हुए रस्म के रूप में अपनाना शुरू कर दिया. शुरू में संगीत पारंपरिक गीतों से भरा रहता था जिसे महिलाएं समूह में गाती थी जिसमें संगीत यंत्र जैसे ढोलक, बांसुरी और अन्य चीजें प्रयोग में लायी जाती थी, लड़कियाँ मजाक करती और दुल्हन को उसकी शादी को लेकर छेड़ती थी. आजकल, बिल्कुल यही चीजें होती है लेकिन कुछ अलग तरीके से. गाने वाली औरतों के समूह और संगीत के यंत्रो के बजाए लोग बड़े-बड़े स्पीकर्स रखते है और सभी प्रकार के बॉलीवुड संगीत बजाने की व्यवस्था करते है.
कुछ मुख्य लोक – संगीत जो पहले गाये जाते थे :
- काला शाह काला
- सोना वतन ‘
- मथ्थे चुम्कंवाल
- मेहँदी नी मेहँदी