आप जरुर ये सोच रहे होंगे , यह शीर्षक क्यों! अच्छा तो, अगर आप विश्लेषण करते है तो देखेंगे की रिसेप्शन दुल्हन को दुल्हे के परिवार के सभी रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलाने के लिए किया जाता है. आमतौर पर, विवाह के बाद का यह समारोह विवाह के तुरंत बाद आयोजित किया जाता है अथवा भारतीय विवाह के कुछ दिनों के बाद. आजकल, ऐसा होता है की रिसेप्शन को बड़े तौर पर व्यवहार में लाया जा रहा है और इसे विवाह के जैसे ही धूमधाम और प्रदर्शन के साथ मनाया जा रहा है. अंतर बस इतना होता है की प्रायः हिन्दू विवाह की व्यवस्था दुल्हन के परिवारवाले करते है और रिसेप्शन दुल्हे के परिवारवाले आयोजित करते है.
भारत विविधताओं की भूमि है जो संस्कृति और परम्पराओं से धनी है. इसलिए, रस्में एक धर्म से दुसरे धर्म और जगह से दुसरें जगह में भिन्न होती है जैसे की हर एक अपने अपने रीति-रिवाज और प्रकृत से संचालित होते है. अक्सर, रिसेप्शन पार्टी विवाह के बाद रखी जाती है और इसमें दोनों परिवारों के दोस्त और रिश्तेदार उपस्थित होते है, जो नए विवाहित जोड़े के साथ उत्सव मनाने के लिए एकत्रित होते है.
रस्में ? नहीं, यह सनातन धर्म के अंतर्गत नही आता है!
शादी का रिसेप्शन पूर्ण रूप से सामाजिक मेलजोल बढ़ाने की एक प्रथा जैसा है. हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित किये गए रिवाजों से इसका कोई-सा संबंध नहीं है. मूलरूप से, आप कह सकते है की यह रिवाज पश्चिमी सभ्यता से पाया गया है. अगर हम इसके आयोजन के बारें में बात करते है तो यह हर जगह अलग-अलग ढंग से की जाती है.
भारत विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न संस्कृतियों से निहित विविधताओं वाला देश है जिसकी अपनी स्थापित की हुई मान्यताएं है. रिसेप्शन अलग-अलग ढंग से आयोजित होती है और आमतौर पर यह समारोह दूल्हा और दुल्हन की एकसाथ पहली उपस्थिति के लिए होता है.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण विवाहोपरांत रस्में
सत्रात
दुल्हन शाम में अपने माता-पिता से मिलने जाती है. उसका पति और थोड़े बच्चें जो संभवतः उसकी नन्द के होते है, दुल्हन के साथ होते है. दुल्हन के माता-पिता दुल्हन के एक जोड़ा नए कपड़े और कुछ नमक और नकद देते है. दुल्हे को भी नए कपड़े और साथ में एक दुसा (6-गज का पश्मीना शाल) उपहार में दी जाती है. दूल्हा और दुल्हन दुल्हे के घर वापस लौटने से पहले नए कपड़े बदल लेते है.
फिर्लाथ
यह समारोह तब होता है जब नए जोड़े दुल्हन के घर दूसरी बार जाते है. एक बार फिर, इस अवसर पर उन्हें नए कपड़े दिए जाते है.
रोथ खबर
विवाह के बाद शनिवार या मंगलवार को दुल्हन के मातापिता अपने दामाद के परिवार के लिए रोथोर भेजते है जो की एक पारम्परिक बड़ा ताजा बना हुआ केक (अखरोट से सजा हुआ पावरोटी) होता है. इसके बाद उसे शगुन के तौर पर नमक दिया जाता है.
गर अत्चुन
यह लड़की के घर पर आयोजित होने वाले आधुनिक दिन के रिसेप्शन के समतुल्य ही होता है. दुल्हन के भाई और बहन वैवाहिक घर में आते है और दुल्हन को पूरी सुरक्षा के साथ एक दिन के लिए वापस उसके माता-पिता के घर लेकर जाते है. इस रस्म को गर अत्चुन कहते है. दुल्हन अपने ससुरालवालों के तरफ से दिए हुए सारे गहनें पहनती है और अपने माता-पिता के घर जाती है. दुल्हन के परिवारवालें दोनों घरों के रिश्तेदारों के लिए अत्यधिक स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन बनाते है. इस शानदार भोजन के बाद, दुल्हन के माता-पिता द्वारा दिए गये सभी तोहफों के साथ दूल्हा और दुल्हन शादिवालें घर लौट आते है. यह नए जोड़े और उनके परिवारों के लाभकारी और सुखद जीवन के आरंभ का सूचक होता है.