माना जाता है कि हिंदू पंचांग की चौथी तिथि को चतुर्थी कहा जाता हैं। यह तिथि महीने में दो बार आती है। एक पूर्णिमा के बाद और एक अमावस्या के बाद। बताया जाता है कि पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और साथ ही अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि इस साल 25 बार आएगी, जिसकी सारी सुची आपको इस चतुर्थी कैलेंडर में देखने को मिलेगी|
तिथि | 2022 तारीख |
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पौष शुक्ल चतुर्थी | गुरुवार, 6 जनवरी |
माघ कृष्ण चतुर्थी | शनिवार, 22 जनवरी |
माघ शुक्ल चतुर्थी | शुक्रवार, 4 फरवरी |
फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी | रविवार, 20 फरवरी |
फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी | रविवार, 6 मार्च |
चैत्र कृष्ण चतुर्थी | मंगलवार, 22 मार्च |
चैत्र शुक्ल चतुर्थी | मंगलवार, 5 अप्रैल |
वैशाख कृष्ण चतुर्थी | बुधवार, 20 अप्रैल |
वैशाख शुक्ल चतुर्थी | गुरुवार, 5 मई |
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी | गुरुवार, 19 मई |
ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी | शुक्रवार, 3 जून |
आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी | शुक्रवार, 17 जून |
आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी | रविवार, 3 जुलाई |
श्रावण कृष्ण चतुर्थी | रविवार, 17 जुलाई |
श्रावण शुक्ल चतुर्थी | सोमवार, 1 अगस्त |
भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी | सोमवार, 15 अगस्त |
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी | बुधवार, 31 अगस्त |
अश्विन कृष्ण चतुर्थी | बुधवार, 14 सितंबर |
अश्विन शुक्ल चतुर्थी | गुरुवार, 29 सितंबर |
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी | गुरुवार, 13 अक्टूबर |
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी | शनिवार, 29 अक्टूबर |
मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्थी | शनिवार, 12 नवंबर |
मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी | रविवार, 27 नवंबर |
पौष कृष्ण चतुर्थी | सोमवार, 12 दिसंबर |
पौष शुक्ल चतुर्थी | सोमवार, 26 दिसंबर |
चतुर्थी तिथि पर मनाए जाने वाले लोकप्रिय त्यौहार
गणेश चतुर्थी
तिथि: भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी
2022 तारीख: बुधवार, 31 अगस्त
भारत एक ऐसा देश जहां पर अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते है| यहां पर धार्मिक पहचान के साथ-साथ आपको संस्कृति भी जानने को मिलेगी। भारत एक ऐसा देश है जहां पर अलग-अलग त्योहार किसी न किसी रूप में मनाए जाते है। जैसे कि पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित है उसी तरह महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है और अब देखा जाए तो पूरे देश भर में गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का यह त्योहार लगभग दस दिनों तक चलता है जिसकी वजह से इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उसी के साथ-साथ आपको बता दें कि उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दे कि गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी कहा जाता है। माना जाता है कि गुरु शिष्य परंपरा के चलते इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ भी होता था। इस दिन को बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। इसी की वजह से कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी वाले दिन स्नान आदि कर के गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। आपको बता दे कि ये प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने सामर्थ्य के अनुसार बनाई जाती है। इसके बाद एक साफ कलश लें और उसमे जल भरकर उसे साफ कपड़े से बांध लें। उसके बाद इसके ऊपर गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। बताते है कि इसके बाद मूर्ती पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर के उसकी पूजा कि जाती है। गणेश जी को दक्षिण अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश कि मूर्ति के पास पांच लड्डू को रखा जाता है और बाकी ब्राह्मणों में बांट दिया जाता हैं। गणेश जी की पूजा शाम के समय में करनी चाहिये यह बहुत अच्छा माना जाता है। पूजा खत्म होने के बाद अपना नज़र नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। साथ ही आपको बता दें कि इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन खिलाने के बाद उन्हें दक्षिणा भी देनी होती है।
करवा चौथ
तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी
2022 तारीख: गुरुवार, 13 अक्टूबर
देखा गया है कि भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्र आदि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई त्यौहार आदि आते ही है इसके साथ-साथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी वाले दिन जो उपवास रखा जाता है तो उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। आपको बता दें कि इस दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन अगर सुहागिन स्त्रियां व्रत रखती है तो उनके पति की उम्र लंबी होती है साथ ही उनका गृहस्थ जीवन बेहद सुख होने लगता है। जबकि पूरे भारत देश में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बड़ी ही धूम-धाम से इस त्यौहार को मनाते हैं साथ ही उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में तो आपको इस दिन बहुत ही अलग नजारा देखने को मिलता है। करवाचौथ वाले दिन कथाओं का दौर होता है उसी के साथ-साथ दूसरी तरफ जैसे ही दिन ढलते लगता है तभी विवाहिताओं की नज़रें चांद को देखने के लिये बेताब होने लगती हैं। औक जैसै ही चांद निकल जाता है वैसे ही आपने देखा होगा कि घरों की छतों का नजारा बहुत ही अलग होता है। आपको बता दें कि करवाचौथ का व्रत सुबह सूरज उगने से पहले ही 4 बजे के बाद शुरु हो जाता है और रात को चंद्र के दर्शन के बाद ही व्रत को खोला जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है इसके साथ-साथ करवाचौथ व्रत की कथा भी सुनी जाती है।
चतुर्थी में अन्य त्योहार
चतुर्थी में और भी अनेक त्योहार होते है जिनको अलग-अलग नामो से जाना जाता है और इन त्योहारों के नाम कुछ इस प्रकार है – द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, विकट संकष्टी चतुर्थी, हेरम्बा संकष्टी चतुर्थी, चतुर्थी श्राद्ध, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, नागुला चविथि, और नौसेना के दिन का बहुत महत्व होता है आपको बता दें कि चतुर्थी को पूरे नियमों के साथ और सच्चे मन से किया जाना चाहिए|
अन्य महत्वपूर्ण तिथियां: पंचमी तिथि और षष्ठी तिथि