कैसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से मिलती है सभी पापों से मुक्ति
गंगा तरंग रमणीय जटा कलापं
गौरी निरंतर विभूषित वाम भागं
नारायण प्रियमनंग मदापहारं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम्
हिंदू धर्म में सभी हिन्दू महीनों में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है और माना जाता है की 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक मास की पूर्णिमा अपना खास स्थान रखती है।
इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथोओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरुनानक देव का जन्म हुआ था। इसलिए सिख धर्म में इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। बात करते हैं आज हम बात करते हैं गंगा स्नान की –
माँ गंगा की सप्त धारायें
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा भगीरथ माता गंगा को अपनी प्रजा के सुख हेतू धरती पर लाना चाहता था इसी उद्देश्य से उन्होनें वर्षों तक कठोर तपस्या की और तपस्या से प्रसन्न होकर, गंगा सात धाराओं के रुप में भूमि पर अवतरित हुईं।
इन सात धाराओं का नाम ह्रादिनी, पावनी, नलिनी, सुचक्षु, सीता और महानदी सिन्धु नदी है। स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा जन्म की कथा वर्णित है।
गंगा स्नान से मिलती है मुक्ति का मार्ग
पवित्र पावनी माँ गंगा में स्नान करने से सात्त्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है। भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में माँ गंगा को देवी के रूप में पूजा जाता है अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है।
मान्यता अनुसार गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है. लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं। लोग गंगा घाटों पर पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं।
गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। विधि विधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है। गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है।
अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित तर्पण व पिंडदान करने से सदगती प्राप्त होती है और यही शास्त्रीय विधान भी है। गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक माना गया है। गंगाजल को अमृत समान माना गया है। हिन्दू धर्म के अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है।
गंगा पर अनेक प्रसिद्ध मेलों का आयोजन किया जाता है। गंगा तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करता है। गंगा जी के अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें श्री गंगा सहस्रनामस्तोत्रम एवं गंगा आरती बहुत लोकप्रिय हैं।