चार धामों में अदभुत भगवान विष्णु की तपस्थली भूमि – बद्रीनाथ
भारत वर्ष के उत्तराखंड राज्य में स्थित चार धाम ( बद्रीनाथ , केदारनाथ , यमनोत्री , गंगोत्री ) यात्रा प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में एक अदभुत व रहस्यमय यात्रा मानी जाती है इन चार धामों की अलग अलग रहस्यमय कथाएं प्राप्त होती है बात करते हैं आज चार धामों में बद्रीनाथ धाम की – बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dhaam)उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ धाम के नर-नारायण पर्वत के बीच बसा हुआ है।
यह स्थान सदैव बर्फ की परतों से ढका रहता है पहाड़ों के बीच स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dhaam) का मंदिर सदैव अपने भक्तों के लिए विशेष फल दायी रहा है आज भी यहाँ आस्था के साथ हर माह लाखों सहलानी भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते है और दर्शन कर अपनी झोली को भरकर अपने घर को लौटते हैं मान्यताओं के अनुसार धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है कि द्वापर में यहां भगवान का विग्रह प्रकट हुआ और इसी रूप में भगवान यहां निवास करते हैं। कहते हैं कि कलियुग के अंत में नर-नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। इससे बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा, लोग यहां भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
भगवान बद्रीनाथ का महत्व –
मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि जो बद्रीनाथ (Badrinath Dhaam) का दर्शन करता है उनका पुनर्जन्म नहीं होता है। यह भगवान विष्णु का दूसरा वैकुण्ठ यानी निवास स्थान है। इस धाम के विषय में पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सतयुग में यहां भगवान विष्णु का साक्षात दर्शन हुआ करता था। शास्त्रों में वर्तमान बद्रीनाथ यानी बद्री विशाल धाम को भगवान का दूसरा निवास स्थान बताया गया है। इससे पहले भगवान आदि बद्री धाम (Badrinath Dhaam) में निवास करते थे। और भविष्य में जहां भगवान का धाम होगा उसे भविष्य बद्री कहा गया है।
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