हमारे पूर्वज हमसे कही ज्यादा विकसित एवं वैज्ञानिक तौर पर शक्तिशाली थे. आप कल्पना कर सकते है, कैसे ? इन एकत्र किये गये साक्ष्यों पर एक नजर डालते है. यह बहुत ही रोचक और साथ-ही-साथ आश्चर्यजनक भी है.
उड़ता हुआ जहाज
वायुयान (एरोप्लेन) और अग्निबाण (राकेट) के सबसे अधिक विकसित रूप का प्रयोग हिन्दू पुराणों के पात्रों द्वारा प्रयोग में लाया जाता था. वे एक उड़ते हुए यंत्र का प्रयोग करते थे जिसकी सहायता से वे हिमालय के पार तथा तारामंडल और ग्रहों के बीच में चले जाते.
अत्यधिक विकसित शैली की क्लोनिंग
बालक जनक की सृष्टि मृत निमी से उसके पिता के क्लोनिंग द्वारा हुई. उन्होंने अलैंगिक तरीके से उस एकसमान बच्चे को उत्पन्न किया . इसका उल्लेख भागवतम में किया गया है.
100 टेस्ट-ट्यूब शिशु
एक अन्य महाकाव्य महाभारत की कहानी में एक अकेले भ्रूण से कौरवों के जन्म का उल्लेख किया गया है जो 100 भागों में बंट जाता और हर एक भाग अलग-अलग पात्रो में जन्म लेता.
भलीभांति , यह टेस्ट-ट्यूब शिशु के जन्म से भी कही अधिक विकसित प्रणाली है.
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भयानक नाभिकीय हथियार
हिरोशिमा-नागासाकी नाभिकीय बमबारी याद है ? वैसे , वैज्ञानिकों ने यह अन्वेषण किया है की जहा महाभारत हुई थी वहा भी बिलकुल ऐसे ही एकबार में भीषण विनाश के चिन्ह मिले है.
भयंकर अंग-प्रत्यारोपण
क्या आपने कभी यह कल्पना की है की किसी का धड (सर) फटकर अलग हो जाये और किसी और के धड को जोड़कर उसका जीवन वापस आ जाये? ऐसा कही से भी मुमकिन नही लगता. परन्तु , है, ऐसा हिन्दू-पुराण में हुआ है जब भगवान् शिव ने भगवान् गणेश का धड शरीर से अलग कर दिया तो एक हाथी के धड को गणेश के धड के स्थान पर लगाया गया.
रामसेतु पुल
सबसे अधिक विकसित अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) कार्यप्रणाली रामायण युग के दौरान रामसेतु पुल के निर्माण में की गई है. जब राम परित्यक्त सीता की रक्षा के लिए लंका पर चढ़ाई करने गये तो उन्होंने गहरे समंदर में विशाल तैरने वाले पत्थर स्थापित कर पुल का निर्माण किया. आपको इसका प्रमाण चहिये ? उपग्रह ( सैटेलाइट् ) को गूगल करने पर वह पुल अभी भी वह नजर आता है.
कैमरे पर पूरी तरह से नियंत्रण रखते हुए सीधा प्रसारण
हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र अंधे थे तथा वे वृहत महाभारत युद्ध में होने वाली घटनाओं को देखना चाहते थे. अतः भगवान् कृष्ण ने उनके परिचारक संजय को महल में ही बैठ कर युद्ध को देखने की शक्ति प्रदान की. वह जिसे चाहे और जो चाहे देख सकता था और उसका वर्णन धृतराष्ट्र को सुना देता था.
शिशु का माता के गर्भ में विद्वान होना
सभी ने महान योद्धा अभिमन्यु के बारे में जरुर सुना होगा. उन्होंने अपने माता के गर्भ में ही जटिल चक्रव्यूह में घुसने की कला सीख ली थी. एक जमाने में लोगों द्वारा इसका मजाक उड़ाया जाता था परन्तु आज विज्ञान कहता है की यह वैज्ञानिक रूप से यह संभव है.
समय की यात्रा
अगर हम प्राचीन ग्रंथो को पढ़ेंगे तो हम वह समय की यात्रा के कई प्रसंगों का जिक्र पाएंगे. हिन्दू – पुराण में , राजा रेवता ककुद्मी की कहानी है जिन्होंने प्रजापति ब्रह्मा से मिलने के लिए यात्रा की. यधपि यह यात्रा कभी खत्म नही हुई और जब ककुद्मी वापस धरती पर लौटे , तब धरती के 108 युग बीत चुके थे और ऐसा माना जाता है की हर युग चार लाख वर्षो का होता है. ब्रह्मा ने ककुद्मी को बताया की समय भिन्न प्रकार से अलग-अलग सतहों पर मौजूद है.
सूर्य से धरती की यथार्थ दुरी का पता बहुत पहले पता चल गया
1 युग = 12000 वर्ष
1 सहस्त्र युग = 12000000 वर्ष
1 योजन = 8 मील
अतः इसका अर्थ है की 12000*12000000*8 = 96000000 मील .
अगर इसे किलोमीटर में बदलेंगे तो , 96000000 * 1.6 = 153,600,000 km
वैज्ञानिको द्वारा सूर्य से धरती की दुरी की भविष्यवाणी = 152,000,000 km
शानदार !
धरती की परिधि भी ज्ञात है
सातवीं शताब्दी ce में ब्रह्मगुप्त ने धरती की परिधि 36,000 km बताया था जो की 1 % के गलत हाशिये पर वास्तविक आंकडें 40,075 km के करीब है.
टेलीपोर्टशन – सर्वाधिक वांछित वैज्ञानिक खोज
टेलीपोर्टशन तत्त्व का एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक बिना भौतिक स्थान को घेरे हुए स्थान्तरण है. हिन्दू-पुराण में इस कला का प्रयोग , सबसे विख्यात पात्र नारद ने किया था. वह अपना स्थान सेकंड के भाग में परिवर्तित कर लेते थे.
इस बारे में आप क्या कहेंगे? काफी रोचक है न ? और लोग कहते है की पुराण-विद्या केवल समय की बर्बादी है. सच्चाई यह है की इन पवित्र ग्रंथो से सिखने के लिए हमारे पास ढेरों चीजें है. ये अद्दभुत चरित्र तो अब नही है किन्तु इन्होंने हमारे लिए ऐसी बहुत सारी जानकारियाँ छोड़ रखी है जो असंभव को संभव बनाते है!
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