धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु कलयुग में कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे, तभी सतयुग का प्रारंभ होगा।
पुराणों में कल्कि अवतार के कलियुग के अंतिम चरण में आने की भविष्यवाणी की गई है। अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा है लेकिन अभी से ही कल्कि अवतार के नाम पर पूजा-पाठ और कर्मकांड शुरू हो चुके हैं। कुछ संगठनों का दावा है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है और कुछ का दावा है कि कल्कि अवतार हो चुका है।
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कल्कि अवतार के पीछे की कहानी
वर्तमान में भगवान कल्कि के नाम पर उत्तरप्रदेश में संभल ग्राम में एक मंदिर बना है। उनके नाम पर दिल्ली आदि क्षेत्रों में ऑडियो, वीडियो, सीडी, पुस्तक आदि साहित्य सामग्री का विकास कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उनके नाम की आरती, चालीसा, पुराण आदि मिलते हैं। उत्तर प्रदेश में सक्रिय कल्कि वाटिका नामक संगठन का दावा है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है। इन लोगों का मानना है कि देवी जगत में कल्कि अवतार हो गया है। स्वप्न, जागृत और वाणी अनुभवों द्वारा वे भक्तों को संदेश दे रहे हैं। उनकी महाशक्तियां भक्तों की रक्षा के लिए इस जगत में चारों ओर फैल चुकी हैं, अब बस उनका केवल प्राकट्य शेष है। इसका तार्किक आधार यह है कि अवतार किसी समयसीमा में बंधा नहीं होता। उसके प्राकट्य के अपने मापदंड होते हैं।
भगवान कल्कि एक श्रेष्ठ ब्राह्मण पुत्र के रूप में जन्म लेंगे
स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्रीकल्कि के रुप में सम्भल ग्राम में होगा। ‘अग्नि पुराण’ के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा बौद्ध, जैन और म्लेच्छों को पराजित कर सनातन राज्य स्थापित करेगा। पुराणों की यह धारणा की कोई मुक्तिदाता भविष्य में होगा सभी धर्मों ने अपनाई।
श्रीमद् भागवत पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों का विस्तार से वर्णन है। उसी पुराण के 12 वें स्कंध के दूसरे अध्याय में भगवान कल्कि का वर्णन है। जिसमें यह कहा गया है कि भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर में एक पुत्र के रूप में होगा। भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े या वाहन पर सवार होकर दुनिया से पापियों का नाश करेंगे और धर्म को फिर से स्थापित करेंगे।
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क्या ये अवतार हो चुका है?
इसके विपरीत कुछ अन्य पुराण और बौद्धकाल के कवियों की कविता और गद्य में ऐसा उल्लेख व गुणगान मिलता है कि कल्कि अवतार हो चुका है। ‘वायु पुराण’ (अध्याय 98) के अनुसार कल्कि अवतार कलयुग के चर्मोत्कर्ष पर जन्म ले चुका है। इसमें विष्णु की प्रशंसा करते हुए दत्तात्रेय, व्यास, कल्कि विष्णु के अवतार कहे गए हैं, किन्तु बुद्ध का उल्लेख नहीं हुआ है। इसका मतलब यह कि उस काल में या तो बुद्ध को अवतारी होने की मान्यता नहीं मिलती थी या फिर बुद्ध के पूर्व कल्कि अवतार हुआ होगा।
मत्स्य पुराण के द्वापर और कलियुग के वर्णन में कल्कि के होने का वर्णन मिलता है। बंगाली कवि जयदेव (1200 ई.) और चंडीदास के अनुसार भी कल्कि अवतार की घटना हो चुकी है अतः कल्कि एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हो सकते हैं। जैन पुराणों में एक कल्कि नामक भारतीय सम्राट का वर्णन मिलता है। जैन विद्वान गुणभद्र नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखते हैं कि कल्किराज का जन्म महावीर के निर्वाण के 1 हजार वर्ष बाद हुआ। जिनसेन ‘उत्तर पुराण’ में लिखते हैं कि कल्किराज ने 40 वर्ष राज किया और 70 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई।
कलयुग भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा
भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का परिहार कहा जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख है। इनमें से 9 अवतार हुए हैं और कलियुग में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार को कल्कि अवतार के रूप में जाना जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में भगवान विष्णु के 10 वें अवतार ‘कल्कि’ हैं।
पुराणों में बताया गया है कि कलियुग के अंत में भगवान कल्कि अवतरित होंगे। वे एक सफेद घोड़े पर बैठ कर आएंगे और राक्षसों का नाश कर देंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2017= 5119 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426881 वर्ष अभी बाकी है और अभी से ही कल्कि की पूजा, आरती और प्रार्थन शुरू हो गई है। यह अवतार भविष्य में होगा या नहीं यह अभी अनिश्चित है, लेकिन लोगों को कौन रोक सकता है पूजा करने से। मूर्ख लोग तो अभिताभ और रजनीकांत की पूजा भी करते हैं।
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