इस साल करवा चौथ गुरुवार, 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं सारे दिन व्रत रख रात को चंद्रमा के अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीती हैं और व्रत खोलती है। सितंबर का महीना खत्म होने के साथ त्योहार का मौसम शुरू हो चुका है। इस साल अक्टूबर में कई सारे प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। इनमे करवा चौथ का त्योहार भी एक है, जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं।
करवा चौथ का महत्व
महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सर्गी खाती हैं। यह खाना आमतौर पर उनकी सास बनाती हैं. इसे खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं। दिन में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। शाम को देवी की पूजा होती है, जिसमें पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है। चंद्रमा दिखने पर महिलाएं छलनी से पति और चंद्रमा की छवि देखती हैं। पति इसके बाद पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है. संकष्टी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास रखा जाता है। करवा चौथ के दिन मां पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी कि भी पूजा की जाती है। वैसे इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है।
इस पूजा में पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है। करवा चौथ के चार दिन बाद महिलाएं अपने पुत्रों के लिए व्रत रखती हैं, जिसे अहोई अष्टमी कहा जाता है।
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त एक घंटे 16 मिनट का है। यानी शाम को 5.46 PM और 7.02 PM तक. वही बताया जा रहा है कि चांद रात को 8.16 PM बजे तक दिख सकता है। करवा चौथ के दिन ही संकष्टी चतुर्थी भी है। संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की आराधना के लिए सबसे उत्तम दिनों में से एक मानी जाती है।
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