हिन्दुओं में विवाह के सभी रस्मों में मेहंदी सबसे उत्साहजनक रस्म है. यह कला और रचनात्मकता से जुड़ा है और दुल्हन के जीवन में आनेवाली खूबसूरती के मायने में लगाया जाता है. सभी सोलह श्रृंगार में मेहंदी महत्वपूर्ण होता है. रिवाजों के अनुसार, मेहंदी लगने के बाद दुल्हन घर से बाहर नहीं जा सकती है. मेहन्दी सामारोह अनिवार्य रूप से दुल्हन के परिवार द्वारा आयोजित किया जाता है और आमतौर पर यह एक निजी सामारोह होता है जिसमें दोस्त, रिश्तेदार और परिवारजन शामिल होते है.
मेहन्दी की उत्पत्ति
मेहन्दी एक पौधे से प्राप्त किया जाता है जिसे हीना कहते है जो की एक छोटी – सी झाडी होती है और यह उष्णकटिबंधीय जलवायु में पाया जाता है. इस पौधे के पत्ते और फूलों का एक गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है और जिससे शरीर पर ये सुन्दर कलाकृति खिंची जाती है. हीना के प्रयोग का संदर्भ कांस्य युग में देखा जा सकता है. बाईबल में हीना को कैमफिरे कहा गया है. वैदिक काल के और भी पूर्व से भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आस-पास में हीना का उपयोग प्रसाधन सामग्री के रूप में किया जाता रहा है. प्राचीन मिस्र के राजा के काल में शवपरीक्षण की क्रिया में हीना के प्रयोग के अतिरिक्त प्रसिद्ध रानी क्लियोपैट्रा की दंतकथाओं में क्लियोपैट्रा द्वारा अपने शरीर पर हीना से चित्रकारी कराना इतिहास में सुप्रसिद्ध है.
मेहंदी रस्म की विधि
मेहंदी की रस्म विवाह से एक दिन पहले होती है. दूल्हा और दुल्हन के परिवार अलग-अलग इस रस्म को अपने निवास-स्थान पर निभाते है. हिन्दू धर्म की सभी संस्कृतियों में दुल्हे को मेहन्दी लगाने का रिवाज नहीं है. कुछ क्षेत्रों में दुल्हे के घर से मेहंदी अन्य सोलह श्रृंगार , मिठाई और मेवों के साथ आती है.
आजकल मेहंदी की रस्म बेहद धूम-धाम के साथ मनायी जाती है और जहाँ लोग नाचते और गाते है. मेहंदी हथेली के आगे और पीछे, बाजू , कोहनी के ऊपर तक और पैरों में घुटनों के नीचे तक व्यापक रूप से लगाई जाती है और निर्भर करता है की दुल्हन क्या पसंद करती है. घर की अन्य महिलाएं भी हीना लगाती है.
मेहंदी प्रथा के पीछे का विज्ञान
भारतीय शादियाँ “बड़े पैमाने पर होने वाली शादियों” के रूप में प्रसिद्ध है. इसकी वजह होती है इनका ढेरों रस्म और रिवाज में शामिल होना और बहुत दिनों के इंतजाम और समारोह करना. शादी के यह दिन परिवार के सभी सदस्यों के लिए काफी व्यस्ततापूर्ण और थकानेवाला होता है और विशेषकर दूल्हा और दुल्हन के लिए. अतः मेहंदी तनाव कम करने की भूमिका निभाने वाला कहा जाता है. हीना अपने शीतलता वाले गुणों के लिए जाना जाता है और ये माना जाता है की जब इसे हाथों और पैरों पर लगाया जाता है तो यह व्यक्ति के स्नायुओं को शांत करती है. अरे वाह! देखिए हमारे पूर्वज कितने बुद्धिमान थे!
मेहंदी का प्रयोग बहुतों द्वारा भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है. बहुत ही साधारण तौर पर आपने सुना होगा और लोगों के बीच भी लड़की के हाथों में लगी मेहंदी के रंग को लेकर रोचक चर्चा सुनी होगी. ऐसा माना जाता है की दुल्हन के हाथों में हीना के रंग की प्रबलता इस बात का निर्णय करती है की उसका भविष्य और भविष्य में उसका प्रेममय जीवन कितना अच्छा होगा. गहरा नारंगी रंग अच्छे भविष्य का संकेत देता है जबकि लोग कहते है की जितना कम गहरा रंग आता ,जोड़ों के बीच प्यार उतना ही कम पैदा होता. अच्छा तो , भारतीय रस्में बेहद रोचक होती है और इसी तरह के आश्चर्यजनक तथ्यों को जानने के लिए सम्पर्क में रहें.