एक अन्य खुबसूरत कथा
एक दूधवाली थी, जिसका एक ग्राहक ब्राहमण पुजारी था. वह नदी के दुसरे किनारे पर रहती थी. क्योंकि नाव की सुविधा अनियमित थी इस कारण वह ब्राहमण को रोजाना ठीक समय पर दूध नही पंहुचा पाती थी. एक बार देर से पहुँचने के कारण उसे डांट पड़ी , गरीब महिला ने कहा की हालांकि वह अपने घर से तो जल्दी ही निकल जाती थी लेकिन नदी पार करने की परेशानी के कारण वह समय से नही आ पाती.
पुजारी उसपर जोर से चिल्लाया और बोला, “क्या! लोग भगवान् का नाम लेकर जीवन के सागर(समसारा) को पार कर लेते है और तुम एक छोटी-सी नदी तक नही पार कर सकती हो !” वह साफ़ दिल की औरत नदी पार करने की इस आसान तरीके को सीख कर बहुत खुश हो गयी. अगले ही दिन से उसने समय से दूध पहुँचाना शुरु कर दिया. इस बदलाव के कारण को पुजारी ने जब पूछा तो उसने बताया की पुजारी द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार ,वह भगवान् का नाम लेकर नदी पार कर लेती थी और अब उसे नाव की जरूरत नहीं पड़ती थी. यह सुनकर पुजारी आश्चर्यचकित हो गया. पुजारी ने उससे कहा की क्या वो उसके सामने दिखा सकती है की वह नदी कैसे पार करती है. वह उसे नदी किनारे ले गई और उसकी आँखों के सामने उसने नदी के ऊपर चलना शुरू कर दिया. जब उसने पलट कर पीछे देखा तो उसने पुजारी की दयनीय स्थिति को देखा. वह भगवान् का नाम जप रहा था और साथ ही अपने हाथ से अपने कपड़े को भींगने से बचाने के लिए ऊपर उठाये हुए था. उसने यह पाया की पुजारी भगवान् पर पूरी तरह से भरोसा नही करता.
श्री रामकृष्णन ने जब इस कहानी को सुना रहे थे तो उन्होंने कहा की भगवान् पर पूरी तरह से अविश्वास और भगवान् पर पूरा विश्वास इन्सान को किसी भी नामुमकिन परिस्थतियों से चमत्कारिक ढंग से छुटकारा दिला सकता है.