इस साल महाशिवरात्रि 01 मार्च दिन मंगलवार को है. इस दिन की प्रतीक्षा शिव भक्तों को पूरे वर्ष रहती है. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्ता, गंगाजल, गाय के दूध से शिवलिंग की पूजा करते हैं. आज हम आपको महाशिवरात्रि विशेष की श्रृंखला में बता रहे हैं कि भगवान शिव (Lord Shiva) अपने मस्तक पर चंद्रमा (Moon) क्यों धारण करते हैं. इसके बारे में शिव महापुराण (Shiva Mahapuran) में कथा है. आइए जानते हैं शिव जी से जुड़े इस रहस्य के बारे में.
शिव के मस्तक पर चंद्र धारण करने की वजह
कथा के अनुसार, चंद्र देव का विवाह राजा दक्ष की 27 नक्षत्र कन्याओं से हुआ था, लेकिन चंद्रमा और रोहिणी में प्रेम भाव अधिक था. रोहिण के रुप पर चंद्रमा मोहित थे, हालांकि चंद्रमा स्वयं रूपवान थे. रोहिणी और चंद्रमा के बीच अत्यधिक प्रेम से उनकी अन्य पत्नियों को जलन होने लगी. उन सभी ने पिता दक्ष से इस बात की शिकायत की.
तब राजा दक्ष ने चंद्र देव को क्षय रोग होने का श्राप दे दिया. क्षय रोग के कारण चंद्र देव की हालत खराब होने लगी, तब नारद जी ने उनको महाकाल भगवान शिव की पूजा का सुझाव दिया. उन्होंने शिवलिंग की स्थापना करके शिव पूजा प्रारंभ की. जब उनके प्राण निकलने वाले थे, उससे पूर्व भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए और क्षय रोग से मुक्ति का वरदान दिया और उनको अपने मस्तक पर धारण कर लिया, ताकि वे जल्द ठीक हो जाएं.
भगवान शिव ने प्रदोष काल में चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्त किया था, इस वजह से प्रदोष व्रत भी रखा जाता है. तभी से भगवान शिव को सोमनाथ, चंद्रशेखर, शशिधर आदि नामों से पुकारा जाने लगा.
शिव मस्तक पर चंद्रमा के विराजने की दूसरी कथा
एक कथा यह भी है कि जब भगवान शिव ने विष का पान किया था, तब सभी देवी देवताओं ने उनको सुझाव दिया था कि वे चंद्रमा को अपने सिर पर धारण कर लें, ताकि तीव्र विष का प्रभाव कम हो जाएगा. चंद्रमा शीतल होते हैं, इसलिए देवतागण ऐसा बोल रहे थे. हालांकि शिव जी को पता था कि शीतला के कारण चंद्रमा विष का प्रभाव सहन नहीं कर पाएंगे. अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।