आज आश्विन शुक्ल पक्ष की उदया तिथि अष्टमी और दिन शनिवार है। अष्टमी तिथि आज सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक ही रहेगी उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। नवरात्र का पर्व उदया तिथि में मनाया जाता है लिहाजा आज दुर्गाष्टमी व्रत है। आज नवरात्र का आठवां दिन है। इसे महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आज दुर्गा जी की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जायेगी। इनका रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है।
शारदीय नवरात्र के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। अष्टमी और नवमी का दिन कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन कन्याओं की पूजा कर व्रत का उद्यापन करते हैं। मान्यता है कि इन कन्याओं को देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती है।

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का क्यों है महत्व?
नवरात्र के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्तों का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।
कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि आज सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक ही रहेगी उसके बाद नवमी तिथि 25 अक्टूबर 7 बजकर 44 मिनट तक है। इस बीच आप कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्याओं की उम्र
स्कंदपुराण में कुमारियों के बारे में बताया गया है की 2 वर्ष की कन्या को कुमारिका कहते हैं, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इसी प्रकार क्रमश: कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा आदि वर्गीकरण भी किये गये हैं।
कराएं ये भोजन
अष्टमी के दिन कुमारी भोजन में पूड़ी , चने और मीठा हलुआ खिलने की परम्परा है। कुमारियों को यथेष्ट भोजन कराने के बाद कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। महाष्टमी में दान की वस्तुओं में कमर और उससे ऊपर धारण किये जाने योग्य चीज़ें ही दान करनी चाहिए । बाकी आपके ऊपर निर्भर है। Reach out to the best Astrologer at Jyotirvid.
कन्या पूजन विधि
जिन कन्याओ को भोज पर खाने के लिए बुलाना है , उन्हें एक दिन पहले ही न्यौता दे दे। गृह प्रवेश पर कन्याओ का पूरे परिवार के सदस्य फूल वर्षा से स्वागत करे और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाए। अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर इन सभी के पैरों को बारी- बारी दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए। अब उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उनके हाथ में मौली बांधें। अब सभी कन्याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती करें। आरती के बाद सभी कन्याओं को भोग लगाएं। भोजन के बाद कन्याओं को भेंट और उपहार दें। और अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.