अधिक मास के चलते इस वर्ष शारदीय नवरात्र 29 दिनों बाद 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं। आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा, वैदिक अध्यक्ष, मध्य प्रदेश ज्योतिष व विद्वत परिषद इंदौर का कहना है कि वैसे वर्ष में कुल चार नवरात्रियां होती हैं, दो गुप्त, आषाढ़ व माघ मास की और दो उजागर चैत्र व आश्विन मास। चारों नवरात्रियों में मां के विविध रूपों की आराधना व साधना की जाती है। आइए जानिए अधिकमास.
शारदीय नवरात्र की प्रधानता है कि इसमें मां के नव स्वरूपों की अलग-अलग आराधना की जाती है। इस वर्ष नवरात्र का आरंभ चित्रा नक्षत्र में हो रहा है जो शुभ नहीं है। देवी भागवत्व रुद्रयामल तंत्र की मान्यता है कि नवरात्र का आरम्भ चित्रा नक्षत्र में हो तो धन का नाश होता है। सामान्यतः चित्रा व वैधृति के शुरू के तीन अंश त्यागकर चौथे में घटस्थापना की जाना चाहिए। घटस्थापना का समय प्रातः काल का है ऐसे में प्रातः 7.30 बजे के बाद ही शुभ मुहूर्त में घट स्थापना होगी।
नवरात्र व शुभ योग
आचार्य शर्मा ने बताया कि इस वर्ष की नवरात्र कुछ खास योग संयोग लेकर आयी है्, चार सर्वार्थसिद्धि योग हैं। 17, 19, 23 व 24 अक्टूबर को ये योग हैं। सिद्धि महायोग 18 व 24 अक्टूबर को है जबकि 17, 21 व 25 अक्टूबर को अमृत योग है। Reach out to the best Astrologer at Jyotirvid.
सूर्य व बुध की युति बुधादित्य योग
18 अक्टूबर को प्रीति, 19 अक्टूबर को आयुषमान, 20 अक्टूबर को सौभाग्य व 21 अक्टूबर को ललिता पंचमी है। बुधवार व शोभन योग
का दुर्लभ संयोग देवी भक्तों को प्राप्त हो रहा है।
नवरात्र में किस दिन कौन सी देवी की करें पूजा
नवरात्र में 17 अक्टूबर, प्रतिपदा, शनिवार को मां शैलपुत्री की पूजा है। 18 अक्टूबर द्वितीया, रविवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। 19 अक्टूबर तृतीया, सोमवार को मां चन्द्रघंटा की पूजा की जाएगी। 20 अक्टूबर चतुर्थी मंगलवार को मां कुष्मांडा की पूजा होगी। 21 अक्टूबर पंचमी बुधवार को मां स्कंदमाता और 22 अक्टूबर षष्ठी गुरुवार को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। 23 अक्टूबर, सप्तमी शुक्रवार को मां कालरात्रि की पूजा होगी।
24 अक्टूबर को महाअष्टमी शनिवार को मां महागौरी व 25 अक्टूबर महा नवमी, रविवार को मां सिद्धिदात्री के साथ ही नवदुर्गा का समापन होगा। नवरात्र के नौ दिनों में मां को लाल गुलाब के पुष्प व अलग अलग दिन सूखे मेवे व मिष्ठान्न का भोग अवश्य लगाए। मां को खीर व हलवा अत्यंत प्रिय है।
बताया जा रहा है कि 25 अक्टूबर को महानवमी व विजयादशमी (दशहरा) दोनों एक ही दिन मनेंगे। समान्यतः दशहरा पर्व अपरान्ह व्यापिनी दशमी तिथि में मनाया जाता है। इस वर्ष अपरान्ह व्यापिनी दशमी 25 अक्टूबर रविवार को ही है। प्रातः 7.41 बजे तक नवमी तिथि है। बाद में दशमी शुरू होगी जो दूसरे दिन प्रातः नौ बजे तक ही रहेगी। इसलिए इस वर्ष दुर्गा नवमी व दशहरा पर्व 25 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा।
कैसे करें घट स्थापना व देवी आराधना
शारदीय नवरात्र शक्ति पर्व है। 17 अक्टूबर को प्रातः 7,45 के बाद शुभ मुहूर्त में घट स्थापित करें। नौ दिनों तक अलग-अलग माताओं की विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन, अखंड दीप साधना, व्रत उपवास, दुर्गा सप्तशती व नवार्ण मंत्र का जप करें।
अष्टमी को हवन व नवमी को नौ कन्याओं का पूजन करें। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते चैत्र की नवरात्र में मां की विधिवत आराधना नहीं हो सकी थी। मां से हम सब देश वासी प्रार्थना करते हैं कि हमें शीघ्र ही इस महामारी व भय से मुक्त करें। और अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.