देश के कम से कम 6 राज्यों में पेट्रोल की कीमत (Petrol Prices) 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच चुकी है. दरअसल, मई 2021 की शुरुआत से अब तक पेट्रोल की कीमतों में 4.90 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी होने के कारण ऐसा हुआ है. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के घरेलू दाम (Diesel Prices) कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों (Global Crude Oil Prices) में उछाल के कारण बढ़ रहे हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों के आसमान छूने की क्या वजह हो सकती है.
इस साल अब तक मुंबई में 11.60 रुपये बढ़ा पेट्रोल का भाव
महाराष्ट्र के मुंबइ्र में पेट्रोल की खुदरा कीमतें बुधवार को 101.50 रुपये, जबकि डीजल के दाम 93.60 रुपये प्रति थे. साल 2021 की शुरुआत से देश की आर्थिक राजधानी में पेट्रोल की कीमत 11.60 रुपये और डीजल के दाम 12.40 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं. सबसे पहले बात करते हैं कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल के कारण भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ने वाले असर की.
कोविड-19 महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था के उबरने पर मांग में हुए सुधार के कारण साल 2021 में कच्चे तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमतें 37.1 फीसदी उछलकर 71 डॉलर प्रति पर पहुंच गई हैं, जो साल की शुरुआत में 51.8 डॉलर पर थीं.
कब कितने डॉलर प्रति बैरल कचा तेल खरीद रहा था भारत
पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमत दोनों ईंधन की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के 15 दिनों के औसत के आधार पर आंकी जाती हैं. हालांकि, वित्त वर्ष 2014 में भारत औसतन 105.5 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड ऑयल खरीद रहा था. इस आधार पर उस समय के मुकाबले इस दौरान भारत में पेट्रोल की कीमतें कुछ ज्यादा हैं. बता दें कि 2010 में पेट्रोल की कीमतों से सरकार का नियंत्रण हटा लिया गया था.
इसके बाद 2014 में डीजल की कीमतें तय करने का काम भी ऑयल कंपनियों को दे दिया गया. जून 2013 में भारत का औसतन क्रूड बास्केट 101 डॉलर प्रति बैरल था. तब देश में पेट्रोल की खुदरा कीमतें 63.09 रुपये से 76.60 रुपये प्रति लीटर थीं. यही नहीं, अक्टूबर 2018 में भारत को औसतन 80.1 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड ऑयल मिल रहा था और डीजल की अधिकतम कीमत 75.70 रुपये प्रति लीटर पहुंची थी.
अलग-अलग टैक्स का पेट्रोल-डीजल के दाम पर असर
साल 2020 की शुरुआत से अब तक कच्चे तेल की कीमतों में महज 3.5 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि कोरोना संकट के बीच कच्चे तेल की मांग में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई थी. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के आसमान छूने का सबसे बड़ा कारण केंद्र और राज्यों की ओर से इस पर लगने वाले टैक्स में किया गया इजाफा ही है.
दिल्ली में पंप पर पेट्रोल की कीमत में से केंद्र और राज्य सरकार 57 फीसदी, जबकि डीजल पर 51.40 फीसदी टैक्स वसूलती हैं. केंद्र सरकार ने 2020 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी. हालांकि, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय ने राज्यों की ओर से लगाए जाने वाले टैक्स में ग्राहकों को कुछ राहत दी थी. दिल्ली में केंद्र सरकार कुल टैक्स में से डीजल पर 71.80 फीसदी और पेट्रोल पर 60.10 फीसदी टैक्स वसूलती है.
‘टैक्स में कटौती पर नहीं किया जा रहा है कोई विचार’
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि सरकार फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स में किसी तरह की कटौती (No Tax Cut) करने पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हम खर्च को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते हैं. हमें हेल्थ सेक्टर पर खर्च को हर हाल में बढ़ाना ही होगा. वहीं, कोरोना महामारी के कारण सरकार की आमदनी पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है. लिहाजा, टैक्स कटौती पर कोई विचार नहीं किया जा सकता है. अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।