आज जीवनसाथी की लंबी आयु के कामना के साथ लोगों ने रंभा तीज का व्रत (Rambha Teej Vrat) रखा है. सुबह उठकर ही रंभा अप्सरा को याद कर व्रतियों ने भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Devi Parvati) की पूजा अर्चना की, प्रसाद चढ़ाया और साथी के सुखमय और स्वस्थ जीवन की कामना की. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत करने से सौभाग्य की वृद्धि होती है, संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस व्रत के प्रभाव से खूबसूरती और चिर यौवन की प्राप्ति भी होती हैं.
रंभा तीज की पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय मे एक ब्राह्मण दंपति सुख पूर्वक जीवन यापन कर रहे होते हैं. वह दोनों ही श्री लक्ष्मी जी का पूजन किया करते थे. पर एक दिन ब्राह्मण को किसी कारण से नगर से बाहर जाना पड़ता है वह अपनी स्त्री को समझा कर अपने कार्य के लिए नगर से बाहर निकल पड़ता है. इधर ब्राह्मणी बहुत दुखी रहने लगती है पति के बहुत दिनों तक नहीं लौट आने के कारण वह बहुत शोक और निराशा में घिर जाती है.
एक रात्रि उसे स्वप्न आता है की उसके पति की दुर्घटना हो गयी है. वह स्वप्न से जाग कर विलाप करने लगती है. तभी उसका दुख सुन कर देवी लक्ष्मी एक वृद्ध स्त्री का भेष बना कर वहां आती हैं और उससे दुख का कारण पूछती है. ब्राह्मणी सारी बात उस वृद्ध स्त्री को बताती हैं.
तब वृद्ध स्त्री उसे ज्येष्ठ मास में आने वाली रम्भा तीज का व्रत करने को कहती है. ब्राह्मणी उस स्त्री के कहे अनुसार रम्भा तीज के दिन व्रत एवं पूजा करती है. व्रत के प्रभाव से उसका पति सकुशल घर लौट आता है. जिस प्रकार रम्भा तीज के प्रभाव से ब्राह्मणी के सौभाग्य की रक्षा होती है, उसी प्रकार सभी के सुहाग की रक्षा हो. अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।