हिन्दू देवी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ भगवान शिव (Lord Shiva) को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है. इस दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है और उनसे शुभ आशीष प्राप्त किया जाता है. सृष्टि की रक्षा के लिए विष पान करने वाले भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना बहुत जल्द पूरी करते हैं. भगवान शिव को मनाना अत्यंत सरल है. उनकी उपासना के लिए सोमवार (Monday) के अलावा तिथियों में त्रयोदशी और चतुर्दशी काफी महत्वपूर्ण है. सोमवार, त्रयोदशी तिथि और प्रदोष, इन तीनों का प्रतीक त्रिदल, त्रिपत्र बिल्व पत्र है. मान्यता के अनुसार भगवान शिव को चंद्रमा (Moon) अत्यंत प्रिय है. इसलिए वह चंद्रमा को मस्तक पर धारण करते हैं. चंद्रमा मन का कारक होता है और मानसिक शांति भी प्रदान करता है. जानते हैं सोमवार का भगवान शिव से क्या कनेक्शन है.
मनुष्य का मन बेहद चंचल होता है क्षण में यहां क्षण में वहां पहुंच जाता है. कहा जाता है कि मन को चंद्रमा नियंत्रित करता है. विष पान किए भगवान भोलेनाथ ने शीतलता के लिए मस्तक पर चंद्रमा धारण किया हुआ है. कहा जाता है घोड़े जैसी तेज गति लिए चंचल मन को सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करके नियंत्रित किया जा सकता है. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से मन में शुभ विचार और शांति का प्रवाह होता है. सोमवार, त्रयोदशी तिथि और प्रदोष, इन तीनों का प्रतीक त्रिदल, बिल्व पत्र है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार को रखा जाने वाला व्रत सोमेश्वर कहलाता है. सोमेश्वर शब्द के दो अर्थ निकलते हैं पहला चंद्रमा और दूसरा वह देवता जिसे सोमदेव भी अपना देव मानते हैं यानी कि भगवान शिव. पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्र देव सोमवार के दिन ही भगवान शिव की पूजा करते थे. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से उन्हें निरोगी काया प्राप्त हुई. भक्तों द्वारा सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने का तात्पर्य यह भी है इससे चंद्र देव भी प्रसन्न होते हैं.
दूसरे कारण के अनुसार सोम का अर्थ सौम्य भी होता है और भगवान शिव शांत स्वभाव के देवता हैं. इनका स्वभाव सहज और सरल होने के कारण इन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है. इसलिए भी सोमवार का दिन शिव का दिन माना जाता है. वहीं सोम में ॐ है और भगवान भोलेनाथ को ॐ स्वरूप भी माना जाता है. अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।