जैसे ही नारायण नारायण की आवाज सुनाई देती है, सबसे पहले मन में एक ही चित्र बनता है. हाथों में वीणा सिर पर एक जूड़ा लिए देव ऋषि नारद (Narad) जी का. हम सभी ने हिन्दू पौराणिक कथाओं में देवऋषि नारद के बारे में सुना है. भगवान श्री हरी विष्णु (Lord Vishnu) के परम भक्त देव ऋषि नारद, ब्रह्मा जी के मानस पुत्र (Manas Putra) हैं. उन्हें सदैव चलायमान और अमृतत्व होने का वरदान प्राप्त है. अक्सर हमने चलचित्रों में नारद मुनि को वीणा बजाकर श्री हरी का नाम जपते हुए देखा है. हमारे शास्त्रों और पुराणों में वीणा का बजना शुभ माना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि नारद जयंती पर यदि वीणा का दान किया जाये तो यह अन्य सभी दानों से श्रेष्ठ होता है.
ऐसे कहलाए प्रथम पत्रकार
देव ऋषि नारद तीनों लोकों में कभी भी कहीं भी प्रकट हो सकते हैं नारद मुनि को पौराणिक ग्रंथों में देवताओं के प्रमुख दूत के रूप में बताया गया है. नारद मुनि न सिर्फ देवताओं तक सूचना पहुंचाते थे, बल्कि वे राक्षसों को भी सूचनाएं देते थे. नारद मुनि तीनों लोकों में हर प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान करते है, यही कारण है की उन्हें इस ब्रह्मांड का प्रथम पत्रकार कहा जाता है.
नारद का अर्थ
नारद मुनि भगवान विष्णु के परम भक्त है उनका मुख्य उद्देश्य भक्तों की पुकार को भगवान श्री हरी तक पहुंचाना है. नारद मुनि नाम के पीछे भी अर्थ छुपा हुआ है. नार का अर्थ होता है जल और द का अर्थ है दान. ऐसा वर्णन मिलता है कि नारद मुनि सभी को जलदान, ज्ञानदान और तर्पण करने में मदद करते थे. इसी कारण से वे नारद कहलाए.
नारद मुनि का प्रमुख योगदान
हर युग में भगवान विष्णु के कार्यों को ठीक प्रकार से करने में नारद मुनि का प्रमुख योगदान रहा है. सतयुग और त्रेता युग में माता लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से, भगवान शंकर का विवाह देवी पार्वती से, भगवान भोलेनाथ द्वारा जालंधर का विनाश करवाना, महर्षि वाल्मीकि को रामायण की रचना की प्रेरणा देना, ध्रुव और प्रह्लाद को ज्ञान देकर भक्ति मार्ग की ओर उन्मुख करना यह सभी कार्य देन ऋषि नारद ने ही कराए हैं. ब्रम्ह ऋषि नारद द्वारा किये गए ये सभी कार्य सृष्टि संचालन में बहुत महत्व रखते है. अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।